“कंडी मार्ग-वरदान या अभिशाप”

अमित पांडे, स्पेशल कोरेस्पोंडेंट-ICN उत्तराखंड 

करीब दो हजार करोड़ की लागत से तैयार होगी कुमाऊँ और गढ़वाल को जोड़ने वाला कंडी मार्ग!

नैनीताल। रामनगर स्तिथ कार्बेट नेशनल पार्क से होकर गुजरने वाले वन मार्ग कंडी रोड के कोटद्वार-रामनगर हिस्से के निर्माण हेतु उत्तराखंड सरकार ने अहम कदम उठाये है। इस सड़क के लिए नामित नोडल एजेंसी इकोटूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन आफ उत्तराखंड (इडकुल) और कार्यदायी संस्था नवरत्न में शुमार कंपनी नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लि.(एनबीसीसी) के मध्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से इस सड़क का एलाइनमेंट तैयार किया जाएगा।

दरअसल,अंग्रेजी शासनकाल से चली आ रही कंडी रोड (रामनगर-कालागढ़-कोटद्वार-लालढांग) मार्ग के कोटद्वार से रामनगर तक का हिस्सा कार्बेट टाइगर रिजर्व में पड़ता है और इसी को लेकर विवाद है।

लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत चिलरखाल (कोटद्वार) लालढांग(हरिद्वार) वाले हिस्से पर कोई विवाद नहीं है। इसे देखते हुए राज्य गठन के बाद से यह मांग उठती आ रही कि पहले चरण में इस हिस्से का निर्माण करा दिया जाए, ताकि कोटद्वार (गढ़वाल) आने-जाने को उप्र के बिजनौर क्षेत्र से होकर गुजरने के झंझट से मुक्ति मिल सके। अब जाकर सरकार इस दिशा में कुछ गंभीर हुई है और उसने लालढांग-चिलरखाल मार्ग को डामरीकृत सड़क बनाने का निश्चय किया है।

कंडी रोड (लालढांग-कोटद्वार-कालागढ़-रामनगर) का कोटद्वार-रामनगर का हिस्सा उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश की सीमा बनाता है। राज्य के दोनों मंडलों को जोड़ने वाले इस मार्ग के निर्माण की मांग लंबे अर्से से उठ रही है, लेकिन कोशिशें परवान नहीं चढ़ पाई। हालांकि, कंडी रोड के लिए 1976 में लोनिवि ने प्रस्ताव तैयार किया। इसके तहत कुछ हिस्सा बनने के बाद वन कानून लागू पर मसला लटक गया।

राज्य गठन के बाद भी इस मांग ने जोर पकड़ा, लेकिन प्रभावी कवायद नहीं हो पाई। नतीजतन, आज भी दोनों मंडलों के लोगों को नैनीताल-देहरादून आने-जाने के लिए उप्र से होकर गुजरना पड़ता है। पिछले वर्ष सत्ता परिवर्तन के बाद मौजूदा भाजपा सरकार ने अपने घोषणापत्र में दूसरे नबंर पर शामिल इस सड़क के लिए अब गंभीरता से कदम बढ़ाए हैं। इसके लिए इडकुल को नोडल एजेंसी बनाया गया, जबकि सड़क के एलाइनमेंट का जिम्मा भारतीय वन्यजीव संस्थान और निर्माण की जिम्मेदारी एनबीसीसी को सौंपने का निर्णय लिया गया।

यह है प्रोजेक्ट
-कुल लंबाई 50 किलोमीटर, चार लेन का बनेगा यह राजमार्ग
-कुछ हिस्सा सीधी सड़क व कुछ एलीवेटेड होगी
-परियोजना ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर व ग्रीन रोड मॉडल के तहत बनेगी
-इस परियोजना पर आएगी करीब दो हजार करोड़ की लागत

ये होंगे फायदे :-
-दोनों मंडलों को राज्य के भीतर आपस में सीधे जोड़ेगी सड़क।
-सड़क बनने पर कार्बेट के वन्यजीवन के दीदार को कुछ जगह बनेंगे प्वाइंट।
-कोटद्वार से रामनगर के बीच बढ़ेगा इको फैंडली पर्यटन।
-दोनों मंडलों में औद्योगिक विकास को भी मिलेगी गति, संवरेगी आर्थिकी।

कुछ सवाल :-
– देखना ये होगा कि क्या इस सड़क के बाद जंगली पशु अपने जीवन को वैसे ही जी पायेंगे जैसा अभी तक जी रहे थे?
– क्या ये मार्ग 24×7 खुला रहेगा?
– बरसात से आने वाली आपदा के समय क्या राहत कार्य करें जा सकेंगे?

 

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